सारंगढ़ / सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण ब्लॉक मुख्यालय बरमकेला इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह है—यहां के नागरिकों की वर्षों पुरानी मांग: रजिस्ट्री कार्यालय और अनुविभागीय मुख्यालय की स्थापना। बरमकेला अंचल के लोग लंबे समय से इस मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
परिसीमन के बाद ठहर गया विकास
स्थानीय लोगों का कहना है कि बरमकेला की बदकिस्मती की शुरुआत विधानसभा परिसीमन से हुई। पहले यह क्षेत्र रायगढ़ लोकसभा के अंतर्गत आता था और सरिया विधानसभा, लेकिन परिसीमन के बाद इसे सारंगढ़ विधानसभा में जोड़ दिया गया। लोगों का आरोप है कि तब से बरमकेला का विकास मानो रुक ही गया है।

राजनीती खिंचतान पर सवाल —
जनता का मानना है कि सारंगढ़ के नेताओं को यह डर है कि यदि बरमकेला में रजिस्ट्री कार्यालय और अनुविभाग खुल गया, तो सारंगढ़ का राजस्व और प्रशासनिक महत्व कम हो जाएगा। यही कारण है कि यहां की मांगों को बार-बार दरकिनार किया जाता है। यहां तक कि लगातार दो कार्यकाल तक विधायक होने के बावजूद, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और ना ही इनके पहले बने विधायक भी आंख बंद कर दिए थे ।
बरमकेला की अहमियत
बरमकेला केवल एक साधारण ब्लॉक मुख्यालय नहीं, बल्कि जनसंख्या, भौगोलिक क्षेत्रफल और आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से पूरे जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक है। यहां के किसान, व्यापारी, छात्र और आम लोग रोजाना प्रशासनिक कार्यों के लिए 40-50 किलोमीटर दूर सारंगढ़ या रायगढ़ जाने को मजबूर हैं। रजिस्ट्री, राजस्व या अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए लंबी दूरी तय करना आम लोगों के समय, पैसे और ऊर्जा—तीनों की बर्बादी है।
जनता का बढ़ता आक्रोश
अब बरमकेला के लोग चुनावी वादों और खोखले आश्वासनों से तंग आ चुके हैं।
“हर चुनाव में नेता आते हैं, भाषण देते हैं, रजिस्ट्री कार्यालय और अनुविभाग खोलने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है,” एक बुजुर्ग ग्रामीण ने नाराजगी जताई।
स्थानीय निवासी बंटी साहू ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा—“बरमकेला के साथ हमेशा छलावा हुआ है। यहां के लोगों की उम्मीदें साल दर साल टूटती रहीं, लेकिन नेताओं को फर्क नहीं पड़ा। अब यह सौतेला व्यवहार कतई सहन नहीं किया जाएगा। जनता जाग चुकी है और इस बार उनका सब्र जवाब दे सकता है।”
आगे क्या?
अब बड़ा सवाल है—क्या जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक मुख्यालय अपने हक के लिए और कितने साल इंतजार करेगा? क्या राजनीतिक खींचतान और स्वार्थ की दीवारें बरमकेला के विकास को हमेशा रोकती रहेंगी? या फिर इस बार जनता की पुरानी मांग हकीकत बनेगी?
बरमकेला की मुखर होती आवाज़ आने वाले चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदलने की ताकत रखती है।