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बरमकेला में विश्व आदिवासी दिवस 24 अगस्त को भव्य आयोजन – शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति संरक्षण रहेगा मुख्य फोकस

DEVRAJ DEEPAK
By DEVRAJ DEEPAK  - EDITOR IN CHIEF
4 Min Read

बरमकेला । आदिवासी समाज की अस्मिता और गौरवशाली परंपराओं को उजागर करने वाला विश्व आदिवासी दिवस इस बार सारंगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक में 24 अगस्त को बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह आयोजन न केवल आदिवासी संस्कृति और इतिहास के संरक्षण का संकल्प दोहराएगा, बल्कि सामाजिक जागरूकता और आधुनिकता की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक भी बनेगा।

विशाल रैली से होगी शुरुआत

आयोजन की शुरुआत सुबह 9:30 बजे बरमकेला में एक विशाल रैली से होगी। इस रैली का उद्देश्य समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास और नशामुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता फैलाना है। आदिवासी समाज की रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक झलकियों से सजी यह रैली पूरे क्षेत्र में विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी।
मंगल भवन बनेगा

आयोजन स्थल —

रैली के बाद मंगल भवन बरमकेला में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम स्थल को आदिवासी परंपरा और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाने वाले झंडों, कलाकृतियों और पारंपरिक साज-सज्जा से सजाया जाएगा। यहां आदिवासी समाज की प्राचीन विरासत और वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा होगी।


अतिथियों की गरिमामयी मौजूदगी

कार्यक्रम को ऐतिहासिक और भव्य बनाने में कई नामचीन हस्तियों की उपस्थिति रहेगी।

मुख्य अतिथि – पुष्पेंद्र कुमार राज (तहसीलदार, बरमकेला)

अध्यक्षता – पी.एल. सिदार (अधि. अभि. वि. मं. छत्तीसगढ़)

विशिष्ट अतिथि – पुष्पराज सिंह बरिहा (प्रांतीय उपाध्यक्ष), रामनाथ सिदार (जिलाध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज), अविनाश सिदार (जिलाध्यक्ष, शासकीय सेवक संघ), सहोद्रा सिदार (जिला पंचायत सदस्य), बरखा लकड़ा (अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी प्रखर वक्ता, झारखंड), डॉ. संध्या भोई (राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह शासकीय महाविद्यालय), तेजराम सिदार (जिला उपाध्यक्ष, सरपंच संघ), डॉ. योगेश कुमार बरिहा (एमबीबीएस), ऋषिकेश भोई (विश्व प्रसिद्ध कलाकार), प्रभुनारायण जी (प्राचार्य), पूनम सिदार (उप रजिस्टार), सुशीला सम्पत बरिहा (जनपद सदस्य), सुलोचना सिदार (सरपंच), उर्मिला सिदार (पार्षद), शकुंतला सिदार (पार्षद), प्यारी भगत (सेवानिवृत शिक्षिका)।

इन सभी अतिथियों की मौजूदगी आयोजन की गरिमा को और बढ़ाएगी।


🎤 मुख्य संदेश – जागरूकता और सशक्तिकरण

विश्व आदिवासी दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि समाज को उसकी जड़ों और अधिकारों की याद दिलाने का दिन है। मंच से यह संदेश दिया जाएगा कि शिक्षा ही समाज को नई दिशा दे सकती है, स्वास्थ्य ही प्रगति का आधार है और नशा तथा अंधविश्वास जैसी कुरीतियों को त्यागकर ही सशक्त समाज का निर्माण संभव है।

“हमारी पहचान हमारी संस्कृति है और हमारी ताकत हमारी शिक्षा।”
इसी भावना के साथ कार्यक्रम में विभिन्न वक्ता समाज को प्रेरित करेंगे।

🌿 संस्कृति और परंपरा की झलक

आयोजन में आदिवासी लोकगीत, नृत्य और पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन होगा। समाज की पुरानी परंपराओं, रूठी हुई रीतियों और ऐतिहासिक गाथाओं को याद किया जाएगा। मंच पर आदिवासी कलाकारों के प्रदर्शन से वातावरण सांस्कृतिक रंगों से भर जाएगा।


📌 कार्यक्रम की विशेष झलकियां

सुबह 9:30 बजे विशाल रैली निकलेगी

रैली के बाद मंगल भवन में मुख्य कार्यक्रम होगा

शिक्षा, स्वास्थ्य और नशामुक्ति पर जागरूकता

अतिथियों के प्रेरणादायी संबोधन

लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुति

आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा

✨ समाज का संकल्प

इस आयोजन के जरिए आदिवासी समाज यह संकल्प लेगा कि अपनी संस्कृति, इतिहास, रीति-रिवाज और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा और जागरूकता को अपनाकर समाज को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।
👉 “संस्कृति का सम्मान, शिक्षा का प्रसार और कुरीतियों का अंत – यही है विश्व आदिवासी दिवस का असली संदेश।”

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