Ad image

ग्राम पंचायत गौरडीह में फर्जी आहरण कि आरोप, सरपंच-पंचों ने उठाई कड़ी कार्रवाई की मांग

DEVRAJ DEEPAK
By DEVRAJ DEEPAK  - EDITOR IN CHIEF
4 Min Read

बरमकेला
जनपद पंचायत बरमकेला अंतर्गत ग्राम पंचायत गौरडीह में पंचायत की राशि के फर्जी आहरण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इस प्रकरण को गंभीर बताते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी बरमकेला को लिखित शिकायत सौंपकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मामला कैसे सामने आया?

गौरडीह की सरपंच गुलापी बरिहा आदिवासी महिला हैं। उन्हीं के हस्ताक्षर और अनुमति से पंचायत की राशि का भुगतान होना चाहिए, लेकिन पूर्व पंचायत सचिव रामनाथ नायक पर आरोप है कि उन्होंने सरपंच को गुमराह कर उनसे ओटीपी (OTP) ले लिया। सरपंच को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह ओटीपी पंचायत के खाते से राशि आहरण के लिए उपयोग किया जा रहा है।

सरपंच गुलापी बरिहा ने स्वयं बताया—
“सचिव ने मुझसे कहा कि एक ओटीपी आया है, बता दीजिए। मैंने बिना समझे बता दिया। बाद में पता चला कि हमारी पंचायत के खाते से ₹2,56,200 की राशि निकाल ली गई है।”

राशि कहाँ गई?

शिकायत पत्र के अनुसार यह राशि फर्जी तरीके से दिव्या सेल्स और मनोरंजन भोय के खातों में ट्रांसफर की गई। पंचायत के पंचों का आरोप है कि यह पूरा खेल सचिव और जनपद पंचायत कार्यालय बरमकेला में पदस्थ ऑपरेटर की मिलीभगत से किया गया है।

ऑपरेटर पर आरोप है कि उसने सरपंच की अनुमति या जानकारी लिए बिना डीएससी पेमेंट को पास किया और सचिव को सहयोग किया।

पंचों का आक्रोश

पंचों ने इस मामले को विश्वासघात और धोखाधड़ी बताते हुए कड़ी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि यदि निर्वाचित प्रतिनिधियों की जानकारी और अनुमति के बिना ही इस तरह राशि का आहरण होता रहेगा, तो पंचायत व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लग जाएगा।

एक पंच ने कहा—
“हम सब मिलकर विकास कार्यों के लिए योजना बनाते हैं, लेकिन यदि सचिव और कार्यालय के कर्मचारी मिलकर पैसा हड़प लेंगे तो ग्रामीणों के अधिकारों का हनन होगा।”

सरपंच की पीड़ा

गुलापी बरिहा का कहना है कि वह एक साधारण महिला हैं और तकनीकी प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं रखतीं। इस बात का फायदा उठाकर सचिव ने धोखा किया। उन्होंने मांग की है कि न केवल राशि वापस लाई जाए बल्कि दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई भी हो।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

ग्राम पंचायत स्तर पर बार-बार इस तरह की घटनाएँ सामने आने से ग्रामीणों में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। पंचायत के लोग कह रहे हैं कि यदि जनपद कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी और अधिकारी समय रहते सतर्क रहते तो यह फर्जी आहरण संभव ही नहीं था।

ग्रामीणों की मांग

पंचायत की गबन की गई राशि तुरंत वापस लाई जाए।

दोषी सचिव और ऑपरेटर पर आपराधिक मामला दर्ज हो।

भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त व्यवस्था बनाई जाए।

सरपंच और पंचों को भुगतान की सभी प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

ग्राम पंचायत गौरडीह का यह मामला स्थानीय शासन-प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यदि दोषियों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों के आक्रोश के और बढ़ने की आशंका है। फिलहाल सरपंच और पंचों ने एक स्वर में चेतावनी दी है कि यदि न्याय नहीं मिला तो वे जन आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

Share this Article