बरमकेला / बरमकेला क्षेत्र में बीती रात से हो रही झमाझम बारिश ने हालात बेकाबू कर दिए हैं। विक्रमपाली नाला उफान पर है और पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। इसी दौरान लापरवाही का नज़ारा देखने को मिला जब एक कार चालक तेज बहाव को नजरअंदाज कर पुल में घुस गया। कार में तीन लोग सवार थे जिन्हें अपनी जान बचाने के लिए पानी में कूदना पड़ा। गनीमत रही कि तीनों लोग किसी तरह सुरक्षित निकल आए, लेकिन कार देखते ही देखते उफनते पानी में समा गई।

यह हादसा प्रशासन की लगातार चेतावनी को धता बताने का नतीजा है। बार-बार अपील की जाती रही है कि लोग तेज बहाव और बाढ़ग्रस्त नालों को पार करने की कोशिश न करें। बावजूद इसके लोग लापरवाही कर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।

लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर ऐसी नौबत आती ही क्यों है? जवाब है – विक्रमपाली पुल का अधूरा निर्माण। वर्षों से यह पुल अधूरा पड़ा हुआ है। न शासन ध्यान देता है, न प्रशासन। हर साल बारिश में यही नज़ारा दोहराया जाता है। पुल अधूरा होने की वजह से नाले का बहाव सीधे सड़क पर चढ़ जाता है और लोगों की जान आफत में पड़ जाती है।मजेदार बात यह है कि इस मुद्दे को न सिर्फ़ मीडिया ने कई बार उठाया है बल्कि सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े ने विधानसभा में सवाल भी किया। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों और विभागों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। नतीजा यह है कि आज भी क्षेत्र के लोग मजबूर होकर मौत से खेलने पर विवश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल अब दुर्घटनाओं का अड्डा बन चुका है। हर बारिश में यहां हादसों का खतरा मंडराता रहता है। आवागमन बाधित हो जाता है और कई बार तो लोगों को घंटों तक इंतज़ार करना पड़ता है। फिर भी जिम्मेदार सिर्फ़ आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

आज की घटना एक बार फिर इस बात का सबूत है कि बरमकेला क्षेत्र की समस्याओं को शासन और प्रशासन कितनी बेरुख़ी से देख रहा है। अगर समय रहते विक्रमपाली पुल का निर्माण पूरा नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में कोई भी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।अब सवाल यह है कि क्या सरकार लोगों की जान की कीमत समझेगी या फिर इस अधूरे पुल पर और ज़िंदगियाँ लील जाने का इंतज़ार करेगी?