सारंगढ़-बिलाईगढ़, 25 सितम्बर।
जिले में आज आयोजित स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री टंकराम वर्मा शामिल हुए। इस अवसर पर बिहान की महिलाओं द्वारा लगाए गए आकर्षक स्टॉल ने लोगों का ध्यान खींचा। प्रभारी मंत्री ने सभी स्व सहायता समूह की महिलाओं से आत्मीय मुलाकात कर उनका हालचाल पूछा और उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की खुलकर सराहना की।

स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण से शुरुआत
कार्यक्रम का आगाज “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के अंतर्गत वृक्षारोपण कर किया गया। प्रभारी मंत्री ने कहा कि “स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। स्वच्छ समाज के साथ-साथ हरियाली भी जरूरी है।” इसके बाद क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया गया।
बिहान की महिलाओं की प्रदर्शनी बनी आकर्षण
कार्यक्रम में विभिन्न स्व सहायता समूहों की महिलाएं अपने-अपने उत्पादों के साथ उपस्थित थीं, जिन्होंने आत्मनिर्भरता और हुनर की एक शानदार झलक पेश की। राधाकृष्ण स्व सहायता समूह, सारंगढ़
अध्यक्ष: कांती देवांगन | सचिव यशोदा देवांगन,निर्माण: खस्ता, मुरकु, बड़ी, गुजिया,
रक्षा महिला स्व सहायता समूह, राजा पारा, सारंगढ़ अध्यक्ष: खुशबू ठाकुर निर्माण: बड़ी, पापड़, अचार,दिशा आदर्श स्व सहायता समूह, छिंद (मां चंद्रहासिनी क्लस्टर)
अध्यक्ष: चंद्रकला रात्रे | सचिव: रुक्मणि रात्रे
निर्माण: ब्रेड, पाव, बर्गर, बिस्किट, टोस्ट,जय मातादी बिहान समूह, डुमरपाली (बरमकेला ब्लॉक)
निर्माण: हस्तनिर्मित साड़ी व ओड़िया कपड़ा,इन सभी समूहों की महिलाएं अपने घरों से निकलकर आज समाज और बाजार में अपनी पहचान बना रही हैं।

मंत्री ने की तारीफ और दिया सम्मान
प्रभारी मंत्री टंकराम वर्मा ने सभी महिलाओं की सराहना करते हुए कहा –
“बिहान की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि पूरे समाज को आत्मनिर्भरता की राह दिखा रही हैं। उनके उत्पाद गुणवत्ता और परंपरा दोनों का सुंदर मेल हैं।” तथा बरमकेला ब्लॉक के बुदेली कलस्टर से संतोषी रात्रे समेत बिहान कि स्वच्छता दीदी उपस्तिथ हुए

उत्कृष्ट कार्य करने वाले समूहों को मौके पर चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं आज अपने-अपने गांवों में प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। चाहे खाने-पीने की सामग्री का निर्माण हो या फिर हस्तनिर्मित कपड़े, सभी कार्य महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बना रहे हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से स्वच्छता, पर्यावरण और आत्मनिर्भरता का संदेश एक साथ दिया गया, जिससे ग्रामीण अंचल में उत्साह और विश्वास का संचार हुआ।