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बड़े नावापारा में अपेरा नाटक का भव्य आगाज़,सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक सौहार्द का मिला अनोखा संगम सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक सौहार्द का मिला अनोखा संगम

DEVRAJ DEEPAK
By DEVRAJ DEEPAK  - EDITOR IN CHIEF
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सारंगढ़ / सारंगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत बड़े नावापारा में आज परंपरागत लोककला अपैरा नाटक का भव्य शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े, जनपद अध्यक्ष डॉ. विद्या किशोर चौहान, अजय नायक उपाध्यक्ष जिला पंचायत सारंगढ़,एवं अरुण मालाकार, मोती पटेल,शरद यादव,प्राण लहरे,मनोहर पटेल जिला उपाध्यक्ष,राजकिशोर पटेल मण्डल अध्यक्ष,प्रदीप सतपथी, कैलाश पंडा,पुनीत चौहान,गजानंद गढ़तीया,  पिंटू चौहान जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि,ताराचंद पटेल, कन्हैया सारथी,स्वप्निल स्वर्णकार,मोहन पटेल, मुरारी नायक, राजू नायक,उग्रसेन साहू,बिषिकेशन चौहान, घनश्याम इजारदार, रोहित वर्मा,गणपति पाढ़ी,नरेन्द्र डनसेना,अरविन्द पटेल महामंत्री, चुडामणी पटेल, कमलेश सिदार सरपंच प्रतिनिधि बड़े नावापारा,डिलेश साहा पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष,भाजपा के वरिष्ठ नेता व कांग्रेस के वारिष्ठ नेता उपस्थित रहे। अतिथियों ने फीता काटकर नाटक का शुभारंभ किया और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

ओड़िसा से आए कलाकार, मंच पर दिखी लोककला की छटा

इस अपेरा नाटक मंडली को विशेष रूप से ओड़िसा से आमंत्रित किया गया था। मंच पर कलाकारों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर राजनीति और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला, जहाँ जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक गरिमामयी बना दिया।

स्वागतम सेवा समिति का आयोजन

यह आयोजन स्वागतम सेवा समिति, बड़े नावापारा के तत्वावधान में किया गया। ग्रामीणों और आम नागरिकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने आयोजन को यादगार बना दिया। पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल रहा और लोगों में अपेरा नाटक को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया।

धार्मिक कार्यों में किया जाएगा आय का उपयोग

विशेष बात यह रही कि अपेरा नाटक से प्राप्त आय को एक सुदृढ़ धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाएगा, जिससे समाजहित और सेवा भाव की झलक भी इस आयोजन में साफ दिखाई दी।

प्रशासन और पुलिस का रहा विशेष सहयोग

कार्यक्रम के सफल संचालन में सरिया पुलिस का विशेष सहयोग रहा, जिसके कारण आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से सम्पन्न हुआ।
बड़े नावापारा में अपेरा नाटक का यह आयोजन न सिर्फ़ लोककला का उत्सव साबित हुआ बल्कि यह धार्मिक चेतना, सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी बन गया।

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